Friday 14 December 2012

स्वयं और म.प्र. सरकार को दागदार होने से बचाने के लिये प्रस्ताव बनाकर शासन की ओर भेजने विषयक।


स्वयं और म.प्र. सरकार को दागदार होने से बचाने के लिये प्रस्ताव बनाकर शासन की ओर भेजने विषयक। Inbox x
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Chandrakant Vajpeyi <chandrakantvjp@gmail.com>
4:34 PM (12 hours ago)
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14 -12 - 2012.

स्वयं और म.प्र. सरकार को दागदार होने से बचाने के लिये प्रस्ताव बनाकर शासन की ओर भेजने विषयक।
 
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Chandrakant Vajpeyi <chandrakantvjp@gmail.com>
8:05 PM (2 minutes ago)
  
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दिनांक  :-  ११ / १२ / २०१२.
प्रेषक :-  चंद्रकांत वाजपेयी { जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता } औरंगाबाद. 
[  पूर्व निवासी मध्यप्रदेश ]
             Email :-- chandrakantvjp@gmail.com Mob. :--                          +91 9730500506            .

प्रतिष्ठा में ,
(१)  आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान साहाब, मुख्यमंत्री म.प्र. शासन।
(२)  माननीय श्री प्रभात झा साहाब, राज्यसभा सदस्य  एवं  अध्यक्ष भा.ज.पा.  म.प्र. ।
(३)  माननीय  मुख्य सचिव महोदय,  मध्यप्रदेश शासन, भोपाल, म.प्र. ।
(४)  माननीय समस्त जिलाधिकारी महोदय, मध्यप्रदेश ।
(५)  माननीय कार्यपालन अधिकारी न.पा. नेपानगर ।
(६)  समस्त विभागीय कार्यपालन अधिकारी महोदय, म.प्र. शासन ।

सभी आदरणीय महानुभाव,
म. प्र. में सार्वजनिक हित के किये गये उत्तम कार्य के लिये 
"  सभी  महानुभावो का   हार्दिक अभिनंदन  "


म.प्र. के लिये यह अभिमानास्पद है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में 
राज्य नें एक ओर अत्यंत तीव्र गती से असीमित प्रगती की है, लेकिन दुसरी ओर 
समाचार पत्रो और सूचना माध्यमो के अनुसार प्रदेश में हर स्तर पर 
आर्थिक भ्रष्ट्राचार के अनेक प्रकरण पंजीकृत हुवे है ।  अनेक अपराध सिद्ध हुवे है ।
 देशभर के आर्थिक अपराध संख्यानुसार म.प्र. का स्थान पिछडी श्रेणी में नही है ।

म.प्र. सहित देशभर में कर्करोग की तऱ्ह उपजी 'भ्रष्ट्राचार समस्या' के निदान के लिये 
एक बार फिर से निम्नांकित लिंक खोलकर निदान का वाचन करे और सभी माननीय  
अधिकारी अपने कार्यालय से प्रस्ताव बनाकर शासन की ओर भेजने का कर्तव्य करे ।

भ्रष्ट्राचार के अनर्गल आरोप से स्वयं बचे और सरकार को दागदार होने से बचाने के लिये
निम्न लिंक मे की गयी मांग के अनुसार ६ माह के अंदर व्यवस्था बनावे ।
प्रस्ताव भेजने की जानकारी सार्वजनिक करे, जिससे आपकी प्रामाणिकता सिद्ध होगी।

--: ट्विटर - लिंक - ब्लॉग निम्नानुसार है :--
कृपया निम्नांकित का वाचन  अनिवार्यत: करके  तुरंत योग्य कार्यवाही करे।

REQUEST AN URGENT ACTION, Ref: Emails,Twits, & Hard copies in your office- july 2012.http://chandrakantvjp.blogspot.com/2012/12/request-for-urgent-action-if-related-to.html?spref=tw  … …

धन्यवाद.
शुभकामनाओ सहित,

चंद्रकांत वाजपेयी. [ जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता  ]
औरंगाबाद.  { म हा रा ष्ट्र  }

Tuesday 11 December 2012

REQUEST FOR AN URGENT ACTION IF RELATED TO YOUR GOOD OFFICE.


11 / 12 / 2012.
प्रतिष्ठा में,
आदरणीय
म.प्र. के सभी जिलाधिकारी,

सुचानार्थ   :--  आदरणीय मुख्यमंत्री जी  /  मुख्य सचिव महोदय,
                          म. प्र.  शासन,  भोपाल  [ मध्यप्रदेश ]

Sub :-- REQUEST FOR AN URGENT ACTION IF RELATED  TO YOUR  GOOD OFFICE.

Ref :--  Plz refer to Emails, Twits, & Hard copies deposited in your good  office during july 2012.

मान्यवर सस्नेह शुभाशीष।
                                 जेष्ठ नागरिक के दायित्व और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर इस अपेक्षा सहित आग्रह करता हूँ कि " यदि किन्ही अपरिहार्य कारणों से आपके कार्यालय में निम्न पद्धति से जुडा कोई प्रकरण उच्चाधिकारी के पास प्रस्तावित करना अथवा अग्रेषित करना अभिशेष रह गया हो तो आप स्मरण पूर्वक अपनें कर्त्तव्य को पूर्ण करेंगे तथा प्रकरण प्रस्तोता को कार्यवाही की प्रगति व उसके सन्दर्भ की जानकारी से अवगत कराकर एक सच्चे 'आयएएस अधिकारी ' की भूमिका को प्रस्तुत करेंगे। 

माननीय जिलाधिकारी जी, 
                                 उपरोक्त उल्लेखानुसार कुछ अधिकारियों को पूर्व में प्रेषित पत्र का सारांश   और  वस्तुस्थिति नीचे दी गयी है,  कृपया उसे गंभीरता से पढ़ें और यदि आपका ऐसा कोई सम्बन्ध  हो तो यथावश्यकता  तत्काल   योग्य कार्यवाही करें।

पूर्व प्रेषित पत्र का सारांश / वस्तुस्थिति :--

11 / 15 जुलाई 2012. से आज तक म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री जी सहित म.प्र.के अनेक अधिकारियों व राजनेताओं को " भ्रष्ट्राचार व आर्थिक अपराध के आरोपों से मुक्ति कैसे होगी व इस सम्बन्ध में आर्थिक पारदर्शिता कैसे आ सकेगी "  इस बाबद अनेक व्यक्तिगत पत्र,  ईमेल, ट्विटर, सोशल मीडिया, फेसबुक इत्यादि माध्यमों से भेजे गए।
जिलाधिकारी जी, यह अत्यंत दु:ख  का और शर्म का विषय है कि किसी का कोई जवाब नहीं, क्यों ? आखिर मुख्यमंत्री जी, मुख्य सचिव जवाब क्यों नहीं देते ?  राजनेता मुंह क्यों नहीं खोलते ?  कलेक्टर - कार्यपालक अधिकारी भी उपरोक्त आवश्यकता का कोई प्रस्ताव ना तो उच्चाधिकारियों को भेजते है और नाही इस विषय के प्रस्तोता को कोई उत्तर भेजते है ।
आखिर क्या कारण है ? " क्या निम्न व्यवस्था गलत है ?

क्या सारे देश के साथ म.प्र. भ्रष्ट्राचारमुक्त हो और प्रदेश देश का पथ प्रदर्शक राज्य बनें इसके लिए सुझाव देना गलत है ? "
  किस कारण उत्तर नहीं मिलता ?"
विगत डेढ़ वर्ष पूर्व अर्थात १९ जून २०११ को केंद्र सरकार को  ई-मेल द्वारा और ११ जुलाई २०१२ से आज तक अनेक बार म.प्र. सरकार को निम्न सुझाव के साथ देश व प्रदेशहित में मांग की गयी  थी कि :---

" भारत में प्रगति और शान्ति बनाए रखनें के लिए भ्रष्ट्राचारमुक्ति आवश्यक है ", अत: ६ महीने के अन्दर प्रत्येक सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय / उद्योग - व्यवसायिक प्रतिष्ठान को ' ई-कैश्बुक से जुडी वेबसाईट बनाना, इस वेबसाईट का संचालन प्रतिदिन करके हर दिन आय-व्यय के ब्योरे का वेबसाईट पर रेखांकन सुनिश्चित करना हर हाल में अनिवार्य और बंधनकारी करें ' | इसके अलावा हर प्रकार के आदेश - निर्देश उक्त वेब साईट पर लोड करना और ५०/- या १००/- रुपये से अधिक के भुगतान हेतु केवल प्लास्टिक मनी के उपयोग की बाध्यता उक्त कार्यालय / उद्योग-व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्यलेखाधिकारी तथा निदेशक के लिए बंधनकारी हो | " इस व्यवस्था के अभाव में ६ महीनें के बाद सम्बंधित व्यक्ति, उद्योग-व्यवसाय आदि के लायसेंस, मान्यताएं, स्वीकृतिया रद्द किये जावे और पानी-बिजली के वितरण तब तक बंद कर दिए जाए जब तक सम्बंधित व्यक्ति, उद्योग-व्यवसाय उपरोक्त लिखित व्यवस्था का पालन नहीं करेंगे।"

निश्चित ही इस कठोर व्यवस्था से "भ्रष्ट्राचारमुक्त भारत की स्थापना के मार्ग प्रशस्त होंगे" जिससे सरकारी व गैरसरकारी अधिकारीयों - कर्मचारियों के साथ साथ किसी भी "राजनेता और उद्योग-व्यवसाय से सम्बद्ध व्यक्तियों की छबि भविष्य में धूमिल नही होगी" मिथ्या आर्थिक अपराध या घोटालों के आरोप नहीं लग सकेंगे और देश में शान्ति व तीव्र प्रगति की स्थापना होगी ।
आदरणीय जिलाधिकारी जी, कृपया उक्त राष्ट्रहित का कर्त्तव्य करनें में प्रामाणिकता के साथ कदम बढाएं और सारे देश / म. प्र. राज्य को यह उपहार देकर सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करें, 
यही शुभेच्छाएं । 
___________________ शुभेच्छु ___________________
चंद्रकांत वाजपेयी. जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.औ.बाद.
ई-मेल: chandrakantvjp@gmail.com +९१९७३०५००५०६.

Thursday 18 October 2012

टीव्ही चैनल्स किसे दे प्राथमिकता, 'पोलखोल' या 'आर्थिक पारदर्शिता' ?


१९ / १० / २०१२.
क्या यही है भारत के टीव्ही समाचार चैनलो पर प्रतिदिन चल रहे "पोलखोल कार्यक्रम"  की प्रक्रिया ?

आजकल भारत में सभी टीव्ही समाचार चैनलो पर प्रतिदिन "पोलखोल कार्यक्रम" प्रसारित हो रहे है ।  " इस कार्यक्रम मे रोज नये - नये किसी सुविख्यात राजनीतिक नामधारी या किसी सरकार द्वारा किये गये अवैधानिक  व आर्थिक अपराधो के संशय भरे कामो की जानकारी दी जाती है।  यह जानकारी किसी चिरपरिचित अथवा नवीन ' स्वघोषित पाकसाफ व्यक्तित्व के धनी द्वारा दी जाती है '। ये धनी उक्त नामधारी या राजनीतिक  दल के चरित्र अथवा कार्यप्रणाली पर कालिमा लगने वाले दृश्य - श्रव्य सामग्री का सार्वजनिक प्रदर्शन गवाहो के साथ करते है ।  
चैनल के कार्यक्रम में अल्प विराम आता है और फिर बात आगे बढती है। "पोलखोल"  कार्यक्रम के द्वितीय चरण में  " आरोपित व्यक्ति व उसके समर्थको द्वारा आरोपो का खंडन किया जाता है।  चैनल के माध्यम से प्रत्यारोप किये जाते है,  पत्रकारो के जवाब दिये जाते है, भारी रोष पैदा होता है और उत्तेजना फैलती या फैलायी जाती प्रतीत है। "   कार्यक्रम के तिसरे चरण में  उक्त पैदा हुवे तनाव और उत्तेजना के स्वरूप का आकलन करके सभी चैनलवाले आरोप-प्रत्यारोप से संबंधित कोई एक सवाल जनता से पूछते है और उस पर कुछ आपस में  वक्ता बहस करते है। कार्यक्रम के अंत में प्रश्न के समर्थन में  जनता की राय का प्रतिशत बताकर जनता की भावनाओ को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया जाता है ।
क्या टीव्ही समाचार चैनल्स 
पोलखोल के बजाय 
६ प्रश्नो पर बहस और सर्वे कराकर देशवासियो को आर्थिक पारदर्शिता के लिये प्रेरित करेंगे ?

बहस और सर्वेक्षण के लिये ६ प्रश्न :--
(१)  क्या समाचार चैनलो के "पोलखोल" कार्यकमो से जागरूकता आ रही 
      है ? 
(२) क्या " पोलखोल " कार्याक्रमो से देश के राजनीतिज्ञ और जनता  
     सहित व्यक्तिगत दुश्मनी का नवीन वातावरण स्थापित हो रहा है  ?
(३) क्या "पोलखोल" कार्यक्रम देश की प्रगती हेतु 'आवश्यक गती' में  
      बाधक हो सकता है ?
(४) क्या प्रतिदिन इस प्रकार के कार्याक्रमो से विश्वसनियता बढेगी या 
      घटेगी ?  
(५) क्या "पोलखोल कार्यक्रम के बजाय टीव्ही चैनलो नें  भारत में  
      "आर्थिक पारदर्शिता" विषयक कार्यक्रम और आंदोलनो को महत्व 
      देना चाहिये ?
(६)क्या भारतमें भ्रष्टाचारमुक्ती या आर्थिक पारदर्शिता की स्थापना के  
      लिये निम्नलिखित  उपाय सार्थक होगा ? 
  ---:भ्रष्टाचारमुक्ती या आर्थिक पारदर्शिता का उपाय:---
" भारत से छह लाख रुपये या इससे अधिक वार्षिक आमदनी करने वाले प्रत्येक भारतीय या विदेशी नागरिक और संस्था या कार्यालय को आगामी ६ महिनो में उसकी अपनी ई-कैशबुकयुक्त वेबसाईट की स्थापना करना और इसका प्रतिदिन संचालन अनिवार्य तथा बंधनकारी करना चाहिये तथा इसके परिपालन के अभाव में संबंधित व्यक्ति या संस्था के विद्युत /पानी वितरण, लायसंस, मान्यताए आदी तब तक निरस्त कर देना चाहिये जब तक उपरोक्त व्यवस्थाये लागू  नही की जावेंगी। इन्हे १०००/- से ज्यादा राशी के आर्थिक व्यवहार के लिये ई-बँकिंग और प्लास्टिकमनी के उपयोग का बंधन करना चाहिये तथा इसके उल्लंघन पर कठोरतम सजा का प्रावधान होना चाहिये।"
कृपया पाठक और टीव्ही दर्शक अपनी राय 
इस ईमेल आयडी पर भेजे, अग्रिम आभार.


Tuesday 2 October 2012

"क्या सरकार बापू का सच्चे मन से आदर करेगी ?"


०२ - १० - २०१२.  



"क्या सरकार बापू  का सच्चे मन से आदर करेगी ?

                   


                                    यदि सरकार  श्रद्धेय  महात्मा  गांधीजी 

 का सच्चे  मन  से  आदर करती है और इस कारण सूचना प्रसारण 

विभाग द्वारा यह इश्तिहार जारी करते हुवे " २ अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय 

अहिंसा दिवस " को सार्थक बनाना चाहती है, तो भारत सरकार को 

सबसे पहले बापू के कहेनुसार सभी नागरिकों के मध्य मित्र- भाव 

स्थापित कराने की आवश्यक पहल करनी चाहिए। इसके लिए 

सरकारी व्यवस्थाओंमें प्रचलित जात, धर्म और आरक्षण को बंद 

करके केवल "भारतीयत्व" की स्थापना करना चाहिए।

                "आज जीव सुनिश्चिती कार्य से लेकर उसकी मृत्यु 

तक हर क्षेत्र में उपरोक्त तीन स्थापनाए लागू है जो " वर्ग-संघर्ष और 

सता-संघर्ष " को  प्रोत्साहन देते हुवे मित्रभाव में न्यूनता पैदा कर 

रही है, जिस कारण हिंसा वृद्धि होकर महात्मा जी के अहिंसा के 

विचारों की धज्जिया उड़ती है।  

                        क्या  सरकार  नागरिकों  के  मध्य  बापू  के 

 मित्र -  भाव  या  एक परिवार भाव की स्थापना का कार्य करके 

सामाजिक समरसता उपरोक्तानुसार निर्मित करेगी और बापू को 

सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेगी ?



.... चंद्रकांत वाजपेयी. { जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक काआर्याकार्ता } औरंगाबाद.

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Wednesday 29 August 2012

फैसला आपके हाथ, क्या आपको डरपोक रहना है, अथवा ..... ? "



फैसला आपके हाथ, क्या आपको डरपोक रहना है 


अथवा ..... ? "


........... चंद्रकांत वाजपेयी. जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.



देश के सम्मानीय नागरिकों, हमारे बच्चों के शिक्षा का हक तुड़वाया था  अजमल कसाब के

आतंकवादी हमलों के डरनें, परन्तु यह हक पुन: बहाल करवाया था राष्ट्रनिष्ठ युवा संगठन ' अखिल

भारतीय विद्यार्थी परिषद् नें ।" 

यदि अ.भा.वि.प. ना होता तो कसाब के विरुद्ध कोर्ट में ग्वाही देनेंवाली शूरवीर बालिका 'देविका 

रोटवान' शिक्षा से वंचित रह जाती। ख़ुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट, विद्यार्थी परिषद् और बहादुर 

देविका; सबनें अपना - अपना धर्म निभाया है। क्या आप भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध सड़क पर उतरकर 

अपना धर्म निभायेंगे ?


क्या आप ऐसे बहादुर बालिका और देशभक्त अ.भा.वि.प. की तरह निर्भीकता से कार्य करते हुवे 


भारत की समृद्धि और संरक्षण करनेंवाले " यूथ -अगेस्ट करप्शन,  " अण्णा हजारे प्रणित 

''भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन न्यास, '' इंडिया अगेंस्ट करप्शन, " विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

समावेशित भ्रष्टाचारमुक्त भारत निर्माण आन्दोलन, " भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं बाबा रामदेव के

कालाधन वापस लाओ आन्दोलन आदि का सच्चा साथ नहीं देंगे? क्या आप डरपोक रहकर देश को

भ्रष्टाचार की दीमक लगानें वाले चंद राजनीतिज्ञों का साथ देंगे ? उन्हें वोट देंगे या वोट ना देकर

चोट पहुंचाएंगे ? फैसला आपके हाथ, सोचिये आपको क्या करना है ।


......  चंद्रकांत वाजपेयी, जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.      

    chandrakantvjp@gmail.com   +919730500506      

Friday 17 August 2012

क्या किया जाना उचित होगा ? 'विश्वस्तर पर धनाढ्यता ...

 क्या किया जाना उचित होगा ? 'विश्वस्तर पर धनाढ्यता ...
 १६/०८/२०१२.         क्या किया जाना उचित होगा ? 'विश्वस्तर पर धनाढ्यता के लिये अभिनन्दन'  अथवा    'संभावित कुटिलचाल के लिए निर्वासन...

क्या किया जाना उचित होगा ? 'विश्वस्तर पर धनाढ्यता के लिये अभिनन्दन' अथवा 'संभावित कुटिलचाल के लिए निर्वासन'

१६/०८/२०१२.       क्या किया जाना उचित होगा ?

'विश्वस्तर पर धनाढ्यता के लिये अभिनन्दन'
 अथवा 
  'संभावित कुटिलचाल के लिए निर्वासन' 

" हर बेटे की माँ उसकी सच्ची 'रक्षक' और सच्ची 'गुरु' होती है। जब कोई माँ अपनें बेटे को यह सीख दे कि मेरे प्रिय पुत्र "साहस-शौर्य और सुबुद्धि द्वारा राष्ट्रनिर्माण ही तेरा जीवन है, मै मेरा ऐसा बेटा चाहती हूँ जो केवल देश के लिए जिये, तब उस घर में निश्चित ही राष्ट्र निर्माता तैयार होते है."  जीजा माता के इसी व्यवहार के कारण शिवाजी एक शूरवीर इतिहास पुरुष बने. अर्थात पुत्र/पुत्री का भविष्य मां गढ़ती है |
उपरोक्त तथ्य की सत्यता के लिए आज भी विश्व के एक परिवार का जिवंत उदाहरण सबके सामने है। यह वह परिवार है जिसके कुछ पीढ़ीयों से वंशज सत्ता के शीर्ष में रहे है। इस परिवार की एक माता को विश्वस्तरीय धनाढ्यों में माना जा चुका है और इस परिवार का नाम भारत के इतिहास में भी अंकित है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आँख बंद करके और बिना कोई विशेष विचार किये अनेकानेक नागरिक इस परिवार का सही नाम बता देंगे |
मेरा मानना है कि उल्लेखित परिवार की कुछ बहु-बेटियाँ प्रारम्भ में उल्लेखित बातों को अच्छी तरह से समझ चुकी है और उसका पालन करके अपनें निजी उद्देश्य प्राप्ति में सफल रही है। संभवत: उन्होंने सानंद यह स्वीकार कर लिया है कि "वे उनके वंशजों की 'सच्ची रक्षक' और 'सच्ची गुरु' है अत: उन्हें केवल ऐसे पुत्र - पुत्री उनके देश के सामनें प्रस्तुत करना है जिनके हाथों से सदा सत्ता सूत्र संचालित होते रहें या सत्ता उनके हाथों में बनी रहे। साथ ही साथ उन्होंने निजी रूपसे उनका उद्देश्य यह भी मान लिया है कि उनके वंशज स्थायी अनंत संपत्ति के मालिक बनें | इस हेतु वे इसका पालन कुछ विशिष्ट पद्धतिसे
करती रही है।
इस परिवार की कुछ माताए शायद अपनें पुत्र-पुत्री को प्रतिदिन यह शिक्षा देती रही है कि " भविष्य में तू और केवल तू ही तेरे अपनें देश का कर्णधार है। सत्ता सूत्र सदैव अपनें हाथों में रख। तू साम-दाम-दंड-भेद का उपयोग करके संपत्ति का अनगिनत अर्जन कर, निजीतौर पर केवल यही तेरे जीवन का और हमारे परिवार का मूललक्ष है। इस स्थिति की प्राप्ति पर ही तू मेरा पुत्र या पुत्री कहलायेगा अन्यथा नहीं। बोल वचन दे की तू मेरा सच्चा और आज्ञाकारी पुत्र या पुत्री बनना चाहता है या नहीं ? बताया गया लक्ष प्राप्त करना चाहता है या नहीं ? यह याद रख कि " तेरे पूर्वज इसी क्रम में आगे बढे है, क्या तू अपनें पूर्वजों के कदमों पर कदम नहीं रखेगा ? आप ही बताइये कौन अपनी मां को ना करेगा ? उसे तो हाँ कहना ही होगा, उसे लक्ष प्राप्ति का वचन देना ही होगा।    " क्या प्रतिदिन अपनी मां को ऐसा वचन देते हुवे उस व्यक्ति के खून में उक्त भाव व्यवहार में लानें का संकल्प, न समा जाएगा ? "
लक्ष प्राप्त करनें की पक्की सोच बनानें के लिए शायद इस परिवार की कुछ माताएं उनके पुत्र - पुत्रियों को आगे यह भी समझाती होंगी कि " जिस देश में तू रहता है उस देश में तेरे चारों तरफदिखनें वाले, तेरे साथ खेलनें वाले, तेरे साथ पढ़नें वाले या तुझे मदत करनें वाले सभी लोग तेरे सेवक है, इनको कभी अपना भाई या सच्चा मित्र ना समझना और ना कभी ऐसा नाता जोड़ना। तेरे इस देश के लोग बहुत ज्यादा भावुक होनें के साथ - साथ लोभी है, धन या पद के लोभी। इन्हें कुछ थोडे से रुपयों में अथवा कोई छोटा लाभ देकर आराम से खरीदा या बेचा जा सकता है। इनको आपस में लड़वाना भी बहुत सरल है। इसलिए इन्हें कभी आपस में इकट्ठा नहीं होने देना है और इनमें विचारों की साम्यता भी नहीं होनें देना है। इन्हें हमेशा आपस में लड़वाओं और अपना उल्लू सीधा करते हुवे ऊपर बताया गया अपना लक्ष प्राप्त करो। हमेशा यही रणनीति उपयोग में लाना है और कामयाब होना है।
इस देश के लोग मीठे बोल से पिघल जाते है। अत: सबसे पहले मीठा बोलकर उनके साथ दिखावे के लिए दो कदम चलना। ऐसा स्वांग करनें में सफल होना कि तेरे व्यवहार से उन्हें सच्चा लगनें लगे कि केवल उनके कष्ट दूर करनें के लिए तू अपना घरबार-परिवार  छोड़कर उनके पास आया है। कच्चे मकान में एकाद रात रहना और उनके भोजन का आनंद लेनें का स्वांग करनें में सफल होना। तब निश्चित ही वे भावुक होकर तेरे आगे चार कदम चलेंगे, वे तेरी गुलामी करते रहेंगे और इतना ही नहीं वे इमानदारी के साथ तेरे लिए अपनी जान भी जोखिम में डालेंगे।
बस इतना याद रख " तू हर हालत में इस देश के मूल निवासियों को कड़वे बोल नहीं बोलेगा। ऐसा दिखा कि तू उनके लिए नि:स्वार्थ काम कर रहा है, उपकार कर रहा है। " फिर क्या वे सब तुझ पर कुर्बान हो जायेंगे। तेरे कहने पर आँख मूंदकर अपराध करेंगे, धन की लूटपाट अनैतिकता और बाहुबल के मार्ग से करेंगे। इतना ही नहीं वे जेल भी जायेंगे पर तुझे नोट - वोट और सत्ता सब कुछ स्वयं लाकर देंगे। 
यह कहावत सच है कि हर दिन इतवार नहीं होता और लक्ष्मी चंचल होती है ।  इसी तरह इंसान का मन भी स्थिर नहीं होता, वह कभी भी बदल सकता है ।   इसलिए अभी तक प्राप्त नोट - वोट और सत्ता की स्थिति स्थायी भाव नहीं है । या यूँ कहें की तेरे मूललक्ष प्राप्ति का यह अंतिम चरण नहीं है । अंतिम चरण पर पहुँचने के लिए प्राप्त संपत्ति को सुरक्षित रखना होगा और लगातार  पैसे से पैसा बनाना होगा ।  अतएव यथाआवश्यकता धन को विदेशों में गुप्त रूप से भेजना और उसी धन को फिर से तेरे निवास वाले देश की उन्नति के नाम पर कर्ज के रूप में वापस लाना होगा।  मतलब तुम्हारा स्वयंका और तुम्हारे सहयोगियों का अघोषित सारा पैसा ,जिसे "कालाधन " कहते है,  जो तुमनें सहयोगियोके साथ गुप्त रूप से विदेश में  रखा हो , उसी पैसे को ब्याज के आधार पर व्यापार के नाम से  फिर उसी देश में लाना, जिस देश में तुम रहते हो और स्थायी रूप से अनगिनत [अनंत] वैधानिक संपत्ति अर्जित करना ।  
अब आप ही सोचिये और हमें बताइये, 
हम सब देशवासी क्या करे ?
  विश्वस्तर पर धनाढ्यता की कीर्ती हेतू , 
क्या हम सब करे उनका हार्दिक भिनंदन ?
अथवा 
नई पीढी को कुटिलचाल की गलत सीख हेतू , 
क्यो ना करे उनका पदस्थान से निर्वासन ?
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  ' अब चाहिये जवाब आपका' और 'कर्तव्य देशावासियो का' ।        ________________________________