१६/०८/२०१२. क्या किया जाना उचित होगा ?
'विश्वस्तर पर धनाढ्यता के लिये अभिनन्दन'
अथवा
'संभावित कुटिलचाल के लिए निर्वासन'
" हर बेटे की माँ उसकी सच्ची 'रक्षक' और सच्ची 'गुरु' होती है। जब कोई माँ अपनें बेटे को यह सीख दे कि मेरे प्रिय पुत्र "साहस-शौर्य और सुबुद्धि द्वारा राष्ट्रनिर्माण ही तेरा जीवन है, मै मेरा ऐसा बेटा चाहती हूँ जो केवल देश के लिए जिये, तब उस घर में निश्चित ही राष्ट्र निर्माता तैयार होते है." जीजा माता के इसी व्यवहार के कारण शिवाजी एक शूरवीर इतिहास पुरुष बने. अर्थात पुत्र/पुत्री का भविष्य मां गढ़ती है |
नागरिक इस परिवार का सही नाम बता देंगे |
अनंत संपत्ति के मालिक बनें | इस हेतु वे इसका पालन कुछ विशिष्ट पद्धतिसे
करती रही है।
इस परिवार की कुछ माताए शायद अपनें पुत्र-पुत्री को प्रतिदिन यह शिक्षा देती रही है कि " भविष्य में तू और केवल तू ही तेरे अपनें देश का कर्णधार है। सत्ता सूत्र सदैव अपनें हाथों में रख। तू साम-दाम-दंड-भेद का उपयोग करके संपत्ति का अनगिनत अर्जन कर, निजीतौर पर केवल यही तेरे जीवन का और हमारे परिवार का मूललक्ष है। इस स्थिति की प्राप्ति पर ही तू मेरा पुत्र या पुत्री कहलायेगा अन्यथा नहीं। बोल वचन दे की तू मेरा सच्चा और आज्ञाकारी पुत्र या पुत्री बनना चाहता है या नहीं ? बताया गया लक्ष प्राप्त करना चाहता है या नहीं ? यह याद रख कि " तेरे पूर्वज इसी क्रम में आगे बढे है, क्या तू अपनें पूर्वजों के कदमों पर कदम नहीं रखेगा ? आप ही बताइये कौन अपनी मां को ना करेगा ? उसे तो हाँ कहना ही होगा, उसे लक्ष प्राप्ति का वचन देना ही होगा। " क्या प्रतिदिन अपनी मां को ऐसा वचन देते हुवे उस व्यक्ति के खून में उक्त भाव व्यवहार में लानें का संकल्प, न समा जाएगा ? "
लक्ष प्राप्त करनें की पक्की सोच बनानें के लिए शायद इस परिवार की कुछ माताएं उनके पुत्र - पुत्रियों को आगे यह भी समझाती होंगी कि " जिस देश में तू रहता है उस देश में तेरे चारों तरफदिखनें वाले, तेरे साथ खेलनें वाले, तेरे साथ पढ़नें वाले या तुझे मदत करनें वाले सभी लोग तेरे सेवक है, इनको कभी अपना भाई या सच्चा मित्र ना समझना और ना कभी ऐसा नाता जोड़ना। तेरे इस देश के लोग बहुत ज्यादा भावुक होनें के साथ - साथ लोभी है, धन या पद के लोभी। इन्हें कुछ थोडे से रुपयों में अथवा कोई छोटा लाभ देकर आराम से खरीदा या बेचा जा सकता है। इनको आपस में लड़वाना भी बहुत सरल है। इसलिए इन्हें कभी आपस में इकट्ठा नहीं होने देना है और इनमें विचारों की साम्यता भी नहीं होनें देना है। इन्हें हमेशा आपस में लड़वाओं और अपना उल्लू सीधा करते हुवे ऊपर बताया गया अपना लक्ष प्राप्त करो। हमेशा यही रणनीति उपयोग में लाना है और कामयाब होना है।
इस देश के लोग मीठे बोल से पिघल जाते है। अत: सबसे पहले मीठा बोलकर उनके साथ दिखावे के लिए दो कदम चलना। ऐसा स्वांग करनें में सफल होना कि तेरे व्यवहार से उन्हें सच्चा लगनें लगे कि केवल उनके कष्ट दूर करनें के लिए तू अपना घरबार-परिवार छोड़कर उनके पास आया है। कच्चे मकान में एकाद रात रहना और उनके भोजन का आनंद लेनें का स्वांग करनें में सफल होना। तब निश्चित ही वे भावुक होकर तेरे आगे चार कदम चलेंगे, वे तेरी गुलामी करते रहेंगे और इतना ही नहीं वे इमानदारी के साथ तेरे लिए अपनी जान भी जोखिम में डालेंगे।
नागरिक इस परिवार का सही नाम बता देंगे |
अनंत संपत्ति के मालिक बनें | इस हेतु वे इसका पालन कुछ विशिष्ट पद्धतिसे
करती रही है।
इस परिवार की कुछ माताए शायद अपनें पुत्र-पुत्री को प्रतिदिन यह शिक्षा देती रही है कि " भविष्य में तू और केवल तू ही तेरे अपनें देश का कर्णधार है। सत्ता सूत्र सदैव अपनें हाथों में रख। तू साम-दाम-दंड-भेद का उपयोग करके संपत्ति का अनगिनत अर्जन कर, निजीतौर पर केवल यही तेरे जीवन का और हमारे परिवार का मूललक्ष है। इस स्थिति की प्राप्ति पर ही तू मेरा पुत्र या पुत्री कहलायेगा अन्यथा नहीं। बोल वचन दे की तू मेरा सच्चा और आज्ञाकारी पुत्र या पुत्री बनना चाहता है या नहीं ? बताया गया लक्ष प्राप्त करना चाहता है या नहीं ? यह याद रख कि " तेरे पूर्वज इसी क्रम में आगे बढे है, क्या तू अपनें पूर्वजों के कदमों पर कदम नहीं रखेगा ? आप ही बताइये कौन अपनी मां को ना करेगा ? उसे तो हाँ कहना ही होगा, उसे लक्ष प्राप्ति का वचन देना ही होगा। " क्या प्रतिदिन अपनी मां को ऐसा वचन देते हुवे उस व्यक्ति के खून में उक्त भाव व्यवहार में लानें का संकल्प, न समा जाएगा ? "
लक्ष प्राप्त करनें की पक्की सोच बनानें के लिए शायद इस परिवार की कुछ माताएं उनके पुत्र - पुत्रियों को आगे यह भी समझाती होंगी कि " जिस देश में तू रहता है उस देश में तेरे चारों तरफदिखनें वाले, तेरे साथ खेलनें वाले, तेरे साथ पढ़नें वाले या तुझे मदत करनें वाले सभी लोग तेरे सेवक है, इनको कभी अपना भाई या सच्चा मित्र ना समझना और ना कभी ऐसा नाता जोड़ना। तेरे इस देश के लोग बहुत ज्यादा भावुक होनें के साथ - साथ लोभी है, धन या पद के लोभी। इन्हें कुछ थोडे से रुपयों में अथवा कोई छोटा लाभ देकर आराम से खरीदा या बेचा जा सकता है। इनको आपस में लड़वाना भी बहुत सरल है। इसलिए इन्हें कभी आपस में इकट्ठा नहीं होने देना है और इनमें विचारों की साम्यता भी नहीं होनें देना है। इन्हें हमेशा आपस में लड़वाओं और अपना उल्लू सीधा करते हुवे ऊपर बताया गया अपना लक्ष प्राप्त करो। हमेशा यही रणनीति उपयोग में लाना है और कामयाब होना है।
इस देश के लोग मीठे बोल से पिघल जाते है। अत: सबसे पहले मीठा बोलकर उनके साथ दिखावे के लिए दो कदम चलना। ऐसा स्वांग करनें में सफल होना कि तेरे व्यवहार से उन्हें सच्चा लगनें लगे कि केवल उनके कष्ट दूर करनें के लिए तू अपना घरबार-परिवार छोड़कर उनके पास आया है। कच्चे मकान में एकाद रात रहना और उनके भोजन का आनंद लेनें का स्वांग करनें में सफल होना। तब निश्चित ही वे भावुक होकर तेरे आगे चार कदम चलेंगे, वे तेरी गुलामी करते रहेंगे और इतना ही नहीं वे इमानदारी के साथ तेरे लिए अपनी जान भी जोखिम में डालेंगे।
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