Tuesday, 11 December 2012

REQUEST FOR AN URGENT ACTION IF RELATED TO YOUR GOOD OFFICE.


11 / 12 / 2012.
प्रतिष्ठा में,
आदरणीय
म.प्र. के सभी जिलाधिकारी,

सुचानार्थ   :--  आदरणीय मुख्यमंत्री जी  /  मुख्य सचिव महोदय,
                          म. प्र.  शासन,  भोपाल  [ मध्यप्रदेश ]

Sub :-- REQUEST FOR AN URGENT ACTION IF RELATED  TO YOUR  GOOD OFFICE.

Ref :--  Plz refer to Emails, Twits, & Hard copies deposited in your good  office during july 2012.

मान्यवर सस्नेह शुभाशीष।
                                 जेष्ठ नागरिक के दायित्व और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर इस अपेक्षा सहित आग्रह करता हूँ कि " यदि किन्ही अपरिहार्य कारणों से आपके कार्यालय में निम्न पद्धति से जुडा कोई प्रकरण उच्चाधिकारी के पास प्रस्तावित करना अथवा अग्रेषित करना अभिशेष रह गया हो तो आप स्मरण पूर्वक अपनें कर्त्तव्य को पूर्ण करेंगे तथा प्रकरण प्रस्तोता को कार्यवाही की प्रगति व उसके सन्दर्भ की जानकारी से अवगत कराकर एक सच्चे 'आयएएस अधिकारी ' की भूमिका को प्रस्तुत करेंगे। 

माननीय जिलाधिकारी जी, 
                                 उपरोक्त उल्लेखानुसार कुछ अधिकारियों को पूर्व में प्रेषित पत्र का सारांश   और  वस्तुस्थिति नीचे दी गयी है,  कृपया उसे गंभीरता से पढ़ें और यदि आपका ऐसा कोई सम्बन्ध  हो तो यथावश्यकता  तत्काल   योग्य कार्यवाही करें।

पूर्व प्रेषित पत्र का सारांश / वस्तुस्थिति :--

11 / 15 जुलाई 2012. से आज तक म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री जी सहित म.प्र.के अनेक अधिकारियों व राजनेताओं को " भ्रष्ट्राचार व आर्थिक अपराध के आरोपों से मुक्ति कैसे होगी व इस सम्बन्ध में आर्थिक पारदर्शिता कैसे आ सकेगी "  इस बाबद अनेक व्यक्तिगत पत्र,  ईमेल, ट्विटर, सोशल मीडिया, फेसबुक इत्यादि माध्यमों से भेजे गए।
जिलाधिकारी जी, यह अत्यंत दु:ख  का और शर्म का विषय है कि किसी का कोई जवाब नहीं, क्यों ? आखिर मुख्यमंत्री जी, मुख्य सचिव जवाब क्यों नहीं देते ?  राजनेता मुंह क्यों नहीं खोलते ?  कलेक्टर - कार्यपालक अधिकारी भी उपरोक्त आवश्यकता का कोई प्रस्ताव ना तो उच्चाधिकारियों को भेजते है और नाही इस विषय के प्रस्तोता को कोई उत्तर भेजते है ।
आखिर क्या कारण है ? " क्या निम्न व्यवस्था गलत है ?

क्या सारे देश के साथ म.प्र. भ्रष्ट्राचारमुक्त हो और प्रदेश देश का पथ प्रदर्शक राज्य बनें इसके लिए सुझाव देना गलत है ? "
  किस कारण उत्तर नहीं मिलता ?"
विगत डेढ़ वर्ष पूर्व अर्थात १९ जून २०११ को केंद्र सरकार को  ई-मेल द्वारा और ११ जुलाई २०१२ से आज तक अनेक बार म.प्र. सरकार को निम्न सुझाव के साथ देश व प्रदेशहित में मांग की गयी  थी कि :---

" भारत में प्रगति और शान्ति बनाए रखनें के लिए भ्रष्ट्राचारमुक्ति आवश्यक है ", अत: ६ महीने के अन्दर प्रत्येक सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय / उद्योग - व्यवसायिक प्रतिष्ठान को ' ई-कैश्बुक से जुडी वेबसाईट बनाना, इस वेबसाईट का संचालन प्रतिदिन करके हर दिन आय-व्यय के ब्योरे का वेबसाईट पर रेखांकन सुनिश्चित करना हर हाल में अनिवार्य और बंधनकारी करें ' | इसके अलावा हर प्रकार के आदेश - निर्देश उक्त वेब साईट पर लोड करना और ५०/- या १००/- रुपये से अधिक के भुगतान हेतु केवल प्लास्टिक मनी के उपयोग की बाध्यता उक्त कार्यालय / उद्योग-व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्यलेखाधिकारी तथा निदेशक के लिए बंधनकारी हो | " इस व्यवस्था के अभाव में ६ महीनें के बाद सम्बंधित व्यक्ति, उद्योग-व्यवसाय आदि के लायसेंस, मान्यताएं, स्वीकृतिया रद्द किये जावे और पानी-बिजली के वितरण तब तक बंद कर दिए जाए जब तक सम्बंधित व्यक्ति, उद्योग-व्यवसाय उपरोक्त लिखित व्यवस्था का पालन नहीं करेंगे।"

निश्चित ही इस कठोर व्यवस्था से "भ्रष्ट्राचारमुक्त भारत की स्थापना के मार्ग प्रशस्त होंगे" जिससे सरकारी व गैरसरकारी अधिकारीयों - कर्मचारियों के साथ साथ किसी भी "राजनेता और उद्योग-व्यवसाय से सम्बद्ध व्यक्तियों की छबि भविष्य में धूमिल नही होगी" मिथ्या आर्थिक अपराध या घोटालों के आरोप नहीं लग सकेंगे और देश में शान्ति व तीव्र प्रगति की स्थापना होगी ।
आदरणीय जिलाधिकारी जी, कृपया उक्त राष्ट्रहित का कर्त्तव्य करनें में प्रामाणिकता के साथ कदम बढाएं और सारे देश / म. प्र. राज्य को यह उपहार देकर सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करें, 
यही शुभेच्छाएं । 
___________________ शुभेच्छु ___________________
चंद्रकांत वाजपेयी. जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.औ.बाद.
ई-मेल: chandrakantvjp@gmail.com +९१९७३०५००५०६.

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