२२ / १२ / २०१२.
[ डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ]
डॉ. हेडगेवारजी अपने साथियों को कहते थे कि
"देशभक्ति हमारा विचार नहीं बल्कि व्रत-संकल्प है"
मित्रों सोचिये, क्या आज इस कथन के अनुसार हरेक का व्यवहार जरुरी नहीं गया है ?
शायद कुछ लोग सोचते है कि देशभक्ति का अभिप्राय
" केवल राजनीतिक माध्यम से देश तथा
नागरिकों की प्रगति के लिए काम करना है,"
नागरिकों की प्रगति के लिए काम करना है,"
परन्तु मेरे विचार से यह सोचना गलत है |
" देशभक्ति " शब्द का सही अर्थ राजनीतिक माध्यम से देश और मानव रक्षा व उनके उत्थान का काम करना बिलकुल नहीं है,बल्कि मै मानता हूँ, " वह व्यक्ति जो स्वयं भारत को अपनी माता माने और अपनी ही तरह भारत को माता मानने वाले और उसके लिए आवश्यकतानुसार जान देनें के लिए प्रतिबद्ध हर भारतीय के लिए पद, प्रतिष्ठा, वोटबैंक, धर्म, जाती, सम्प्रदाय, भाषा और प्रांत आदि से ऊपर ऊठकर प्रामाणिकता के साथ पूर्णत: निर्भीक होकर नि:स्वार्थ भाव से काम करे, 'अथवा' किसी श्रम-सेवा का योग्य अधिकृत मूल्य प्राप्त करते हुवे, निर्भिकता से भ्रष्ट्राचारमुक्त रहकर काम करे, जो देश और मानव की रक्षा तथा उत्थान कर सके, उस व्यक्ति की सच्ची देशभक्ति होती है |
प्रिय देशवासियों आईये, आज से सच्चे देशभक्ति को प्रस्तुत करे और अपने व्यवहार से परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी के कथन पर अमल करते हुवे उनके संकल्प का सम्मान करें |
........... चंद्रकांत वाजपेयी.
जेष्ठ नागरिक एवं गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद ( महाराष्ट्र )
ई-मेल : chandrakantvjp@gmail.com
जेष्ठ नागरिक एवं गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद ( महाराष्ट्र )
ई-मेल : chandrakantvjp@gmail.com
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