फैसला आपके हाथ, क्या आपको डरपोक रहना है
अथवा ..... ? "
........... चंद्रकांत वाजपेयी. जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.
देश के सम्मानीय नागरिकों, हमारे बच्चों के शिक्षा का हक तुड़वाया था अजमल कसाब के
आतंकवादी हमलों के डरनें, परन्तु यह हक पुन: बहाल करवाया था राष्ट्रनिष्ठ युवा संगठन ' अखिल
भारतीय विद्यार्थी परिषद् नें ।"
यदि अ.भा.वि.प. ना होता तो कसाब के विरुद्ध कोर्ट में ग्वाही देनेंवाली शूरवीर बालिका 'देविका
रोटवान' शिक्षा से वंचित रह जाती। ख़ुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट, विद्यार्थी परिषद् और बहादुर
देविका; सबनें अपना - अपना धर्म निभाया है। क्या आप भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध सड़क पर उतरकर
अपना धर्म निभायेंगे ?
क्या आप ऐसे बहादुर बालिका और देशभक्त अ.भा.वि.प. की तरह निर्भीकता से कार्य करते हुवे
भारत की समृद्धि और संरक्षण करनेंवाले " यूथ -अगेस्ट करप्शन, " अण्णा हजारे प्रणित
''भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन न्यास, '' इंडिया अगेंस्ट करप्शन, " विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समावेशित भ्रष्टाचारमुक्त भारत निर्माण आन्दोलन, " भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं बाबा रामदेव के
कालाधन वापस लाओ आन्दोलन आदि का सच्चा साथ नहीं देंगे? क्या आप डरपोक रहकर देश को
भ्रष्टाचार की दीमक लगानें वाले चंद राजनीतिज्ञों का साथ देंगे ? उन्हें वोट देंगे या वोट ना देकर
चोट पहुंचाएंगे ? फैसला आपके हाथ, सोचिये आपको क्या करना है ।
...... चंद्रकांत वाजपेयी, जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता.
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