मानव संरक्षण व देश विकास के लिए धनदान करना एक उत्तम कार्य, परन्तु …….
" धनदान की राशि भ्रष्ट्राचार की बाढ़ में नहीं आये "
बाढ पीडितो की राशी में भ्रष्ट्राचार पर अंकुश के लिए उपाय , परंतु
क्या भ्रष्ट्राचार पर अंकुश के लिये
नीचे सुझाये गये उपाय पर अमल होगा ?
नीचे सुझाये गये उपाय पर अमल होगा ?
परमपिता परमेश्वर से विनम्र प्रार्थना के साथ साथ प्रत्येक भारतीय नागरिक से
विनम्र अनुरोध है कि उत्तराखंड की आपदा का निवारण करने और आपदा में फंसे भूखे लोगों को
भोजन करवानें के लिए आगे बढे - मानव धर्म निभाए | " आप निश्चित ही कमसे कम भोजन मूल्य
रुपये १०० /- देनें में सक्षम है " फिर देरी क्यों ? सदैव याद रक्खे कि " मानव सेवा करना,
पीडितों के कष्ट दूर करना अथवा धनदान द्वारा इस कार्य के भागीदार होना एक ईश्वरिय और
आत्मतृप्ति का काम है | अत: यह सर्वोत्तम काम अवश्य करें| कृपया यही सोंचे कि आपके रुपयों का
सदुपयोग होगा, परन्तु दुर्भाग्य से देश में हर स्तर पर लूट और भ्रष्ट्राचार निरंतर हो रहा है । डेक्कन -
क्रोनिकल की रिपोर्ट से साफ है कि आज उत्तराखंड के बाढ पीडितो को सरकारी भोजन और राहत
की वस्तुए नही मिल रही है । क्यो उन्हे बिस्कीट-पराठे खरिदने पड रहे है ? उसमें भी उनकी लूट -
- क्यो ? जनता के टैक्स के रुपये 1000 करोड भोजन-राहत सामग्री के लिये प्रधानमंत्री -
राहत कोष से उत्तराखंड भेजे जाने की खबरे थी, फिर पीडितो को बिस्कीट-पराठे की महंगी खरीदी
क्यो करनी पडी, क्या सरकारी हिसाब मे बिस्कीट - पराठे नही बाटे गये ऐसा लिखा मिलेगा ?
डेक्कन क्लोराईड की रिपोर्ट के कुछ अंश नीचे दिये है, पढे :--
Uttarakhand: Stranded pilgrims manipulated, robbed and blackmailed, say reports
Dehradun: Shocking reports of exploitation of distraught travellers have come to the fore in Uttarakhand with some stranded people forced to pay Rs 250 for a 'paratha' and Rs 100 for a small pack of chips. With their money and belongings washed away in the floods, hundreds of survivors did not get anything to eat for days, the reports said.
The stranded pilgrims were manipulated, looted and blackmailed during hardtimes, the reports stated.
"People were forced to buy a Rs 4 biscuit pack for Rs 1,000," said a tourist rescued from Rishikesh said, reported ANI.
अतएव हमे निर्भिकता के साथ खडे होकर बाढ पीडितो की सुरक्षा प्रबंध मे पूर्ण
प्रामाणिकता लाने, उनकी भूख पीडा हरने, लूटतंत्र बचाने और देश की इस दुर्व्यवस्था को
दूर करने के लिये आगे आना ही होगा । अपना मानवीय और राष्ट्रीय कर्तव्य निभाना होगा ।
इसलिये शरीर से नही तो कम से कम धन देकर पीडितो की सहायता करे और यह भी देखें कि
" क्या आपके द्वारा सरकार को दिया गया धन
भ्रष्ट्राचार की बाढ में तो नही बह रहा है ? "
सुरक्षा हेतू निम्नलिखित उपाय पर अमल करे
मात्र 100 /- रुपये की सहयोग निधी ही क्यो न भेजी जाये,
उसे केवल प्लास्टिक मनी यांनी बैंक ड्राफ्ट /चेक आदि के द्वारा
" '''प्रधानमंत्री राहत कोष मे जमा करे ।'' याद से प्रधानमंत्री को
एक पत्र लिखे और इस पत्र को ड्राफ्ट/चेक के साथ नथ्थी करके
प्रधानमंत्री जी को प्रेषित करे ।
" पत्र में अवश्य लिखें कि ' माननीय प्रधान मंत्री जी, कृपया " प्रधान मंत्री राहत कोष -
अंतर्गत उपयोग में आनेंवाली दैनिक कैशबुक के पृष्ठ को प्रतिदिन अनिवार्यत: वेबसाईट पर
अपलोड करें और इस राहत कोष से राशि प्राप्त करनें वालों को निर्देशित करे कि वे भी राहत राशि से
सम्बंधित कैशबुक पृष्ठ को प्रतिदिन अनिवार्यत: वेबसाईट पर अपलोड करेंगे | तहसील स्तर पर
वेब संकेत की तीव्रता कम होना संभव है, अत: तहसील स्तर पर प्रत्येक
सातवे दिन कैशबुक के पृष्ठ वेबसाईट पर अपलोड किये जाये । "
वेब संकेत की तीव्रता कम होना संभव है, अत: तहसील स्तर पर प्रत्येक
सातवे दिन कैशबुक के पृष्ठ वेबसाईट पर अपलोड किये जाये । "
पत्र के द्वारा प्रधानमंत्री जी से मांग करे कि उपरोक्त निवेदित व्यवस्थाये बंधनकारी और अनिवार्य हो ।
यदि भेजी गयी राशि का विवरण और प्रधान मंत्री जी को भेजे गये पत्र की
प्रति मुझे ईमेल करेंगे या डाक से भेजेंगे तो आपके धन के सदुपयोग के प्रति प्रधान मंत्री कार्यालय
और संबंधितों की वेबसाईटें प्रतिदिन कैशबुक पृष्ठ के साथ अपडेट हो रही है या नहीं यह सुनिश्चित
किया जा सकेगा और भ्रष्ट्राचार से मुक्ति के लिए आर्थिक पारदर्शिता को सुदृढ़ करानें का प्रयास होगा
| प्रधान मंत्री कार्यालय को उक्त पत्र के साथ अधिकतम राहत राशि भेजकर आप एक अच्छा काम
करेंगे, इस हेतु अग्रिम हार्दिक धन्यवाद.
मेरा ईमेल आयडी : chandrakantvjp@gmail.com
मेरा डाक पता : चंद्रकांत वाजपेयी. { जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता }
एल १ / ५, कासलीवाल विश्व, उल्कानगरी, गाराखेडा, औरंगाबाद. ( महाराष्ट्र ) ४३१००१.