१९ / १० / २०१२.
क्या यही है भारत के टीव्ही समाचार चैनलो पर प्रतिदिन चल रहे "पोलखोल कार्यक्रम" की प्रक्रिया ?
आजकल भारत में सभी टीव्ही समाचार चैनलो पर प्रतिदिन "पोलखोल कार्यक्रम" प्रसारित हो रहे है । " इस कार्यक्रम मे रोज नये - नये किसी सुविख्यात राजनीतिक नामधारी या किसी सरकार द्वारा किये गये अवैधानिक व आर्थिक अपराधो के संशय भरे कामो की जानकारी दी जाती है। यह जानकारी किसी चिरपरिचित अथवा नवीन ' स्वघोषित पाकसाफ व्यक्तित्व के धनी द्वारा दी जाती है '। ये धनी उक्त नामधारी या राजनीतिक दल के चरित्र अथवा कार्यप्रणाली पर कालिमा लगने वाले दृश्य - श्रव्य सामग्री का सार्वजनिक प्रदर्शन गवाहो के साथ करते है ।
चैनल के कार्यक्रम में अल्प विराम आता है और फिर बात आगे बढती है। "पोलखोल" कार्यक्रम के द्वितीय चरण में " आरोपित व्यक्ति व उसके समर्थको द्वारा आरोपो का खंडन किया जाता है। चैनल के माध्यम से प्रत्यारोप किये जाते है, पत्रकारो के जवाब दिये जाते है, भारी रोष पैदा होता है और उत्तेजना फैलती या फैलायी जाती प्रतीत है। " कार्यक्रम के तिसरे चरण में उक्त पैदा हुवे तनाव और उत्तेजना के स्वरूप का आकलन करके सभी चैनलवाले आरोप-प्रत्यारोप से संबंधित कोई एक सवाल जनता से पूछते है और उस पर कुछ आपस में वक्ता बहस करते है। कार्यक्रम के अंत में प्रश्न के समर्थन में जनता की राय का प्रतिशत बताकर जनता की भावनाओ को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया जाता है ।
क्या टीव्ही समाचार चैनल्स
पोलखोल के बजाय
६ प्रश्नो पर बहस और सर्वे कराकर देशवासियो को आर्थिक पारदर्शिता के लिये प्रेरित करेंगे ?
बहस और सर्वेक्षण के लिये ६ प्रश्न :--
(१) क्या समाचार चैनलो के "पोलखोल" कार्यकमो से जागरूकता आ रही
है ?
(२) क्या " पोलखोल " कार्याक्रमो से देश के राजनीतिज्ञ और जनता
सहित व्यक्तिगत दुश्मनी का नवीन वातावरण स्थापित हो रहा है ?
(३) क्या "पोलखोल" कार्यक्रम देश की प्रगती हेतु 'आवश्यक गती' में
बाधक हो सकता है ?
(४) क्या प्रतिदिन इस प्रकार के कार्याक्रमो से विश्वसनियता बढेगी या
घटेगी ?
(५) क्या "पोलखोल कार्यक्रम के बजाय टीव्ही चैनलो नें भारत में
"आर्थिक पारदर्शिता" विषयक कार्यक्रम और आंदोलनो को महत्व
देना चाहिये ?
(६)क्या भारतमें भ्रष्टाचारमुक्ती या आर्थिक पारदर्शिता की स्थापना के
लिये निम्नलिखित उपाय सार्थक होगा ?
---:भ्रष्टाचारमुक्ती या आर्थिक पारदर्शिता का उपाय:---
" भारत से छह लाख रुपये या इससे अधिक वार्षिक आमदनी करने वाले प्रत्येक भारतीय या विदेशी नागरिक और संस्था या कार्यालय को आगामी ६ महिनो में उसकी अपनी ई-कैशबुकयुक्त वेबसाईट की स्थापना करना और इसका प्रतिदिन संचालन अनिवार्य तथा बंधनकारी करना चाहिये तथा इसके परिपालन के अभाव में संबंधित व्यक्ति या संस्था के विद्युत /पानी वितरण, लायसंस, मान्यताए आदी तब तक निरस्त कर देना चाहिये जब तक उपरोक्त व्यवस्थाये लागू नही की जावेंगी। इन्हे १०००/- से ज्यादा राशी के आर्थिक व्यवहार के लिये ई-बँकिंग और प्लास्टिकमनी के उपयोग का बंधन करना चाहिये तथा इसके उल्लंघन पर कठोरतम सजा का प्रावधान होना चाहिये।"
कृपया पाठक और टीव्ही दर्शक अपनी राय
इस ईमेल आयडी पर भेजे, अग्रिम आभार.