Tuesday, 15 September 2015

यह केवल आदरणीय मोदी जी के मन की बात नहीं, यह तो प्रत्येक नागरिक के मन की बात है, जिसकी अभिव्यक्ति करना उसका नैतिक कर्तव्य भी है.


१६ सितम्बर २०१५. 

यह केवल आदरणीय मोदी जी के मन की बात नहीं,
 




यह तो प्रत्येक नागरिक के मन की बात है,जिसकी अभिव्यक्ति करना
उसका नैतिक कर्तव्य भी है.




            मित्रों,  अपनें भारत के सविधान के अनुसार यह देश मेरा, आपका अर्थात प्रत्येक भारतीय नागरिक का है | अत: मेरे सहित प्रत्येक भारतीय नागरिक की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हर कई यह सोचे व मन में एकांत में शान्ति पूर्वक तथ्य पूरक विचार करे कि उसके अपनें देश भारत की समृद्धि व सुरक्षा कैसे हों ? समृद्ध भारत - विश्वगुरु भारत कैसे बनाया जाए ??


हर सच्चा भारतीय इस विषय में अपनें मन में निश्चित ही कभी ना कभी और कुछ ना कुछ रचनात्मक कामों का उत्तम विचार जरुर करता है, आपनें भी ऐसे विचार किये होंगे | यह विचार स्वागत योग्य होकर देश के भले में काम में आ सकते है | क्या आप अपनें मन के उन सभी रचनात्मक विचारों को मन में ही रहनें देंगे ? उन विचारों को अपनें मन में दबाकर रखेंगे तो बताइये क्या आप अपना कर्त्तव्य कर रहे है ?? नागरिकों द्वारा स्वतंत्रता पूर्वक अभिव्यक्त किये गए विचारों में अधिकतम लोगों के जो सामान विचार होते है, उन विचारों से देश का निर्माण करना ही लोकतंत्र होता है.|

श्रद्धेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ऐसा ही मानते है ऐसी मेरी अपनी निजी धारणा है | मेरी निजी धारणानुसार शायद आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी देशभर से नागरिकों के विचारों का संकलन करते है तथा उनमें से वह विचार जो अधिकातम लोगों द्वारा अभिव्यक्त किया गया हों उसे " रेडियो कार्यक्रम मन की बात " के माध्यम से प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष जन जन से स्वीकृति हेतु प्रेषित करनें का प्रयास करते है और ऊपर बताए गए सच्चे लोकतंत्र को स्थापित करनें की दिशामें आगे बढ़ रहे है |

मित्रों, " यह विनम्र प्रार्थना है कि अवसर ना चुके, लोकतंत्र के प्रहरी बनें | अपनें अधिकार और कर्तव्य का निर्वाह करें आपके अपने मन की बात, मन से निकालकर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के पास भिजवाकर उनके " रेडियो कार्यक्रम मन की बात " द्वारा सारे देश को भिजवाकर भारत के नवनिर्माण में अपनें मन के विचारों को जोड़ें |"

याद रहे कि यदि आपके विचार अधिकतम विचारों के साथ नहीं मिलनें से, कार्यक्रम में उल्लेखित नहीं भी हो, तो भी आनंद और स्वाभिमान होंना चाहिए कि मैंने अपना फर्ज अदा किया है | 

भारत माता का सच्चा बेटा  "स्व " अर्थात  " मै  या  अहं "  से ऊपर उठकर जीता है, वह ना निराश होता है और ना विरोध प्रकट कर बुझदिली के प्रतिक को उजागर करता है, बल्कि वह सदा ऐसी बातों से बचकर सकारात्मक और रचनात्मक सोच - व्यवहार को प्रस्तुत करता है |

इति शुभ |

......... चंद्रकांत वाजपेयी ( काका )
जेष्ठ नागरिक, औरंगाबाद. महाराष्ट्र.

Monday, 20 July 2015

" हमारे लेखनी, विचार और व्यवहारों से क्या फर्क पडता है ? "

" हमारे लेखनी, विचार और व्यवहारों से क्या फर्क पडता है ? "
सोच है हमारी अपनी, अपनें निजी विचारों से , 

नहीं चिपकना मात्र किसी एक व्यक्ति या एक समूह से,
साथ ही साथ नही रखना मोह, किसी पद या किसी स्थान विशेष से |

सारा देश हमारा है, हर इंसा हमारा अपना है 

तो क्यों विचार आये , नाता पाले मात्र एक से ?
चाहे हम मिले अपनें जवाहर, इंदिरा, लाल, राजीव, नरसिंह या मनमोहन से 
अथवा मिले 
सादर श्यामा, दिना, अटल, अडवाणी, नरेन्द्र या केशव, माधव, देव, या मोहन से 
हम पास रहें बाला-उद्धव, मुलायम,लालू, माया, ममता अम्मा व अन्यों के स्नेह से 
अथवा कूदें, नाचे, दौड़े-भागे संत तुका,कबीर, अण्णा या श्री श्री कें आगे-पीछे से 
क्या फर्क पडता है ?

ज़रा सोंचें, 
क्या फर्क पडता है हमारे अपनें इस व्यवहार से ? 
जब हम सबकी अच्छाई पर ही प्रेम करें अपनें दिल से,
अच्छाई का साथ और बुराई का विरोध करें अपनें गांधीवादी तरीके से, 
फिर क्यों हम रोएँ या हँसे, अपनें ही इन सब प्यारें लोगों की कृति से ? 
हम तो जियें मात्र देश और मानव के सुख व सुरक्षा के लिए ईश कृपा से 
इसीलिए हम निष्पाप कृति, विचार, और लेखन करें, अपनें निजी विचारों से, तन से, मन से, धन से  |
जयहिंद | जयभारत. | वंदे मातरम |

.....  चंद्रकांत वाजपेयी.
जेष्ठ नागरिक, औरंगाबाद.महाराष्ट्र 
ई-मेल :   chandrakantvjp@gmail.com

Saturday, 7 March 2015

तत्काल, आज विद्युत गति से 'महिला दिवस पर मानव संसाधन मंत्रालय अपना संकल्प घोषित करे' "महिला उत्पीडन रोकनें हेतू छात्रो को "मन पर नियंत्रण की शिक्षा"

तत्काल, आज विद्युत गति से
 महिला दिवस पर मानव संसाधन मंत्रालय
 अपना संकल्प घोषित करे.
"महिला उत्पीडन रोकनें हेतू छात्रो को "मन पर नियंत्रण की शिक्षा"
(इस व्यवस्था की स्थापना का निवेदन  |  औरंगाबाद [महा.] से मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी को ई-मेल )







Chandrakant Vajpeyi chandrakantvjp@gmail.com

3:39 AM (6 hours ago)
to SmritihrdministrySudhir, bcc: me
08 / 03 / 2015
प्रेषक :  चंद्रकांत वाजपेयी.  जेष्ठ नागरिक.  
गैरराजकारणी सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद. ( महाराष्ट्र )
प्रोत्साहक : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समावेशित भ्रष्टाचार-अपराध निर्मूलन व विश्वगुरू भारत निर्माण जनआंदोलन ।
एल 1/5, कासलीवाल विश्व,  उल्कानगरी, गारखेडा, औरंगाबाद ( महाराष्ट्र ) ई-मेल :chandrakantvjp@gmail.com

ष्रतिष्ठा में,

(1) सम्मानीय स्मृती इरानी जी,
मंत्री, भारत सरकार, 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
नई दिल्ली.
(2) मा.  मुख्य सचिव महोदय,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
नई दिल्ली.

  
विषय :  देशभर में  'महिला उत्पीडन एवं अपराध रोकने हेतु'  " छात्रों को मन पर नियंत्रण की शिक्षा "  सरकार देगी   |

आज महिला दिवस के अवसर पर मानव संसाधन मंत्री  मा. स्मृति ईरानी जी, यह घोषित करें  |

परम आदरणीय मंत्री जी, 
एवं  मा. मुख्य सचिव  महोदय जी, 

 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति का स्वागत एवं  विनम्र नमन 
 नारी  सुरक्षा व सम्मान का मेरा सादर वचन  


           यह सुस्पष्ट है की देश में व्याप्त असीमितअपराधों का मूल कारण  मनुष्य के मन में  धन व सत्ता का लोभ, स्वार्थ, अनीतिपूर्ण कार्य के प्रति निर्भीकता  और  वासना के दुर्गुणों का उद्भव है  |  जब तक मनुष्य स्वयं ही इन दुर्गुणों पर नियंत्रण करनें की प्रवृत्ति तथा नियंत्रण करनें की क्षमता को प्राप्त नहीं करेगा, तब तक  नारी असुरक्षा - नारी उत्पीडन सहित अनेकानेक प्रकार के असंख्य अपराध होते रहेंगें जो मनुष्य को कष्ट व पीड़ा देते रहेंगे |  यह स्मरण रहे कि  " किसी भी अपराधजन्य  और  कष्ट - पीड़ा उपजानेवाले समाज को शिक्षित समाज   या  सुसभ्य समाज  नहीं कहा जा सकता है  | "   मनुष्य का दृढ़ मनोबल ही इस बिकट समस्या से निजात दे सकेगा, जिसकी स्थापना मात्र  संस्कारक्षम्य शिक्षा से हो सकेगी  |
              शिक्षा देश और समाज की प्रगति तथा संरक्षण मात्र के लिए दी जाती है  | शिक्षा मनुष्य की विकृत मानसिकता व दुष्प्रवृत्ति रोकने के लिए दी जाती है  |  अतएव जब भारत की नारी असुरक्षित व  उत्पीडित रहेगी, अपराध होते रहेंगे, समाज में  कष्ट व पीड़ा का उद्भव होता रहेगा तब तक देश में  शिक्षा दी जाती है, यह कहना पूर्ण उचित नहीं होगा  |
उपरोक्त कारणों से  देशहित में मानव विकास मंत्रालय की मंत्री आदरणीया स्मृति इरानी जी  एवं  उनके मंत्रालय के माननीय मुख्य सचिव महोदय से विनम्र आग्रह है कि" आज  ८ मार्च  २०१५ को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसके अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक विशेष संकल्प घोषित करे  |

संकल्प में कहा जाए कि   देशभर में महिलाओं की छेडछाड, बलात्कार, उत्पीडन   एवं  अपराधों को रोंकनें के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय  छात्रों को न पर नियंत्रण की शिक्षा "प्रदान करना आवश्यक मानता है  जिससे सुसभ्य समाज की निर्मिति हो |   अतएव आज दि.  ८ मार्च  २०१५ को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय अपना संकल्प व्यक्त करता है कि  यह मंत्रालय देश में शीघ्र  मन पर नियंत्रण की शिक्षा के पाठ्यक्रम की निर्मिति करकेआगामी शिक्षा सत्र २०१६-१७ से  देश के सभी विद्यालयों में उक्त पाठ्यक्रम का संचालन कराएगा | " 

मनुष्य के मन पर नियंत्रण करने के व्यावहारिक पाठ के साथ साथ इसके सैद्धांतिक ज्ञान के पाठयक्रम की निर्मिती और उसे शालाओं व महाविद्यालयों में संचालित किये जाने की आवश्यकता केवल अपने देश को ही नही बल्कि सारी दुनिया में है ।  मन पर नियंत्रण  करनें के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग से  कुछ  नव उपकरणों  व  तंत्र  का विकास करना भी उपयुक्त होगा ।

मान्यवर,
देश में दैनिक रूप से रेप (बलात्कार) की अनेक सूचनाएं व महिला उत्पीडन की असीमित घटनाएं प्रकाश में आ रही है,  जिस कारण राष्ट्रीय  व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता व्याप्त होकर इस विषय में सर्वत्र चिंतन व परिचर्चाओ के खूब दौर चल रहे है |  चारों तरफ नारी असुरक्षा दिखाई देनें के कारण नागरिकों का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच रहा है, जो स्वाभाविक है |  पुलिस-सैनिक बल प्रयोग से इसका नियंत्रण अस्थायी  और  अधिक खर्चीला अनुभव में आता है |

 मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री राज चड्ढा, ग्वालियर,  नें उपरोक्त विषय में फेसबुक पर जो अभिव्यक्ति की है,  निश्चित ही वह पाठ्यक्रम निर्माण के विषय बिंदु में एक विचारणीय बिंदु है जो निम्नानुसार है :--
बलात्कार के लिए स्त्रियों की वेशभूषा या उनके सड़क पर निकलने के समय को दोषी ठहराने वाले वस्तुतः मानसिक रोगी ही हैं, अन्यथा इस देश में तीन साल की बच्चियां या बुरकाधारी स्त्रियां बलात्कार की शिकार कभी न होतीं |

               उपरोक्त महत्वपूर्ण विषय में विनम्रता व स्नेह के साथ अवगत किया जाता है कि मंत्रालय की ओर से अधिकृत पत्राचार होनें की स्थिति में मै यथावश्यकता'पाठ्यक्रम निर्माण एवं  संचालन' के  मुद्दे, वार्षिक कार्यक्रम तथा व्यवस्था बाबत मेरी दृष्टी विस्तार से प्रेषित करके सकारात्मक नि:स्वार्थ सहयोग देनें का प्रयत्न करूँगा |
विश्वास है कि मेरे उपरोक्त निवेदन को स्वीकार करके   आज महिला दिवस के प्रासंगिक दिन, निवेदित संकल्प घोषित किया जाएगा,और आपके कार्यालय से योग्य अधिकृत पत्राचार किया जाएगा, जिसके लिए मै मान्यवर का आभारी रहूंगा |

धन्यवाद |   
शुभकामनाओं सहित,

चंद्रकांत वाजपेयी.  
जेष्ठ नागरिक एवं गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता.
औरंगाबाद [ महाराष्ट्र ]  पिन :--   431001 

Saturday, 27 December 2014

क्यों और क्या है, जनलोकपाल या लोकपाल ?? आज उसकी याद क्यों ??



क्यों और क्या है,   जनलोकपाल  या  लोकपाल
  ??

आज  उसकी  याद  क्यों  ??
                         क्यों और क्या है " जनलोकपाल या लोकपाल " ??
आईये, राजनीतिक गलियारों से बाहर निकलकर, विशुद्ध सामान्य नागरिक के नातें इसे एकबार समझनें व याद करनें की कोशिश करें | 

" लोकपाल, लोकपाल. लोकपाल " ये शब्द मात्र करोडो लोगोंनें अनेकों बार सुनें ही नहीं, बल्कि वे स्वयं अपनें प्रिय भारत देश में लोकपाल लागू करनें के लिए मा.अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में निर्भीक होकर सडकों पर उतरे थे | लोकपाल के लिए देशभर में पूर्णत: अहिंसक ऐतिहासिक सफल आंदोलन हुए और अंतत:18 दिसंबर 2013 को लोकपाल क़ानून स्वीकृत हुआ | 


चार दिन बाद तक यानी 01 जनवरी15, तक लोकपाल की नियुक्ति होंना चाहिए | इस नियुक्ति के लिए विपक्ष के नेता चाहिए जो आज तकनीकी तौर पर उपलब्ध नहीं है, शायद इस कारण सरकार को लोकपाल नियुक्ति में कानूनी बाधा का सामना करना पड रहा है व विलम्ब हो रहा है | 

आईये, प्राथमिक रूप से जनलोकपाल के बारे में जानें " :-- " नीचे बताई बाते प्रस्तावित थी." | पाठको को " लोकपाल " के अभिप्राय की जानकारी मिले इस हेतु नीचे लिंक दी गई है | कृपया आंदोलन किसलिए हुआ था यह जानने के लिए लिंक खोलें और जानें :--http://youtu.be/k93d0op-Zcw 
{ मा. राष्ट्रपति जी द्वारा हस्ताक्षरित लोकपाल --
-- कानून की जानकारी अलग से लेनी होगी }


.......... चंद्रकांत वाजपेयी.
जेष्ठ नागरिक एवं गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद.
ई-मेल :
 chandrakntvjp@gmail.com 

Monday, 22 December 2014

' देशभक्ति ' क्या होती है ???

२२ / १२ / २०१२.
--------  ' देशभक्ति '  क्या होती है ???  --------
[ डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ]


 डॉ. हेडगेवारजी अपने साथियों को कहते थे कि 
"देशभक्ति हमारा विचार नहीं बल्कि व्रत-संकल्प है"

मित्रों सोचिये,  क्या आज इस कथन के अनुसार हरेक का व्यवहार जरुरी नहीं गया है  ? 

शायद कुछ लोग सोचते है कि देशभक्ति का अभिप्राय 
" केवल राजनीतिक माध्यम से देश तथा
नागरिकों की प्रगति के लिए काम करना है,"
 
परन्तु मेरे विचार से यह सोचना गलत है |

" देशभक्ति " शब्द का सही अर्थ राजनीतिक माध्यम से देश और मानव रक्षा व उनके उत्थान का काम करना बिलकुल नहीं है,बल्कि मै मानता हूँ, " वह व्यक्ति जो स्वयं भारत को अपनी माता माने और अपनी ही तरह भारत को माता मानने वाले और उसके लिए आवश्यकतानुसार जान देनें के लिए प्रतिबद्ध हर भारतीय के लिए पद, प्रतिष्ठा, वोटबैंक, धर्म, जाती, सम्प्रदाय, भाषा और प्रांत आदि से ऊपर ऊठकर प्रामाणिकता के साथ पूर्णत: निर्भीक होकर नि:स्वार्थ भाव से काम करे, 'अथवा' किसी श्रम-सेवा का योग्य अधिकृत मूल्य प्राप्त करते हुवे, निर्भिकता से भ्रष्ट्राचारमुक्त रहकर काम करे, जो देश और मानव की रक्षा तथा उत्थान कर सके, उस व्यक्ति की सच्ची देशभक्ति होती है |

प्रिय देशवासियों आईये, आज से सच्चे देशभक्ति को प्रस्तुत करे और अपने व्यवहार से  परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी के कथन पर अमल करते हुवे उनके संकल्प का सम्मान करें |

........... चंद्रकांत वाजपेयी. 
जेष्ठ नागरिक एवं गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद ( महाराष्ट्र ) 
ई-मेल : chandrakantvjp@gmail.com



Thursday, 18 December 2014

धर्मांतरण चर्चा नको, फक्त राष्ट्र संरक्षण व राष्ट्र प्रगतीसाठी चर्चा श्रेयस्कर.

१८ दिसंबर २०१४.
'' धर्मांतरण चर्चा "

हा विषय मुळात भांडण-तंटे सुरु करून रक्त नासाडीचे 

 बी पेरणारा  व  मानव वितुष्टी वाढविणारा आहे. 






      ज देशाला प्रामुख्याने एकच गरज आहे, ती म्हणजे मानव व

राष्ट्र संरक्षणा चे आणि त्याच्या प्रगतीचे वळण लावणे, त्यां साठी

प्रत्येक 
भारतीयाने झटणे, वेगवेगळे सर्व धर्म एकत्र करून  " फक्त 

एक राष्ट्रीय 
धर्म निर्मिती करणे आणि या राष्ट्रीय धर्माचे बंधनकारक

पालन करण्याचे 
संसदेत कठोर नियम तयार करणे /  "



सांसद मित्रांनो, संसदेत वाद घालण्या पेक्षा वर उल्लेखित

सर्व कांहीं व्यवहारात आले तरच आजचे सर्व भारतीय 
आपल्या पूर्वजांचे वंशज म्हणविले जातील यांत शंका नाही  |



............. चंद्रकांत वाजपेयी . 

जेष्ठ नागरिक आणि गैरराजकीय सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद.

ई-मेल :  chandrakantvjp@gmail.com

Tuesday, 2 December 2014

इंडिया टीवी के शानदार कार्यक्रम " आपकी अदालत " अपनें १२१ वसंत पूर्ण करे, यही हार्दिक मंगल कामनाएं |



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भारत की शान  "इंडिया टीव्ही", सदा ही रचे नया इतिहास जी,
२१ वर्ष हर हफ्ते, मुस्कान बिखेरते,श्री रजत शर्मानें किया प्यार जी 

आपकी अदालतमें नहीं बख्शा कोई 
नेता,अभिनेता या खिलाड़ी जी 
 शुभेच्छा है कि १२१ वर्षों हमेशा सुस्वस्थ रहें श्री रजत शर्मा जी
                                                                                                                                                                                                 
और 
 सदा सदा ही इंडिया टीव्ही के सफलता के दीप जले जी
१२१ वर्ष बाद भी आप की अदालत के कटघरे में फिर खड़े हो,
 "श्री रजत शर्माके सामने लाडले प्रधानमंत्री श्रद्धेय नरेन्द्र मोदी जी"
औरंगाबाद से इतनाही आशीष देते "जेष्ठ नागरिक चंद्रकांत वाजपेयी"जी
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